डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम विवेकानंद जी की जन्मतिथी पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, उनकी याद में माननीय श्री राजीव गांधी ने आज के दिन को ‘नेशनल यूथ डे’ (National Youth Day) घोषित किया था।
डॉ. सिंघवी ने कहा कि आज सवाल वही है, किस बात की पर्देदारी है और क्या छुपाया जा रहा है! किसे, किसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है! सीबीआई डायरेक्टर ऐसी किस बात की तफ्तीश- तहकीकात कर रहे थे कि उन्हें रातों-रात हटाया गया! कुछ तो है, जिससे प्रधानमंत्री जी और भाजपा सरकार भयभीत है तथा इसका रहस्योद्घाटन होना अति आवश्यक है।
इसलिए हम मानते हैं कि परतें खुलेंगी, राज से पर्दे उठेंगे, जांच होगी और न्याय भी होगा।
आज जो आपने एक प्रकाशित खबर पढ़ी है, मैं उसके विषय में कुछ कहना चाहता हूं, जिससे साफ जाहिर है कि ‘चौकीदार चोरी से तो जाए, पर हेरा-फेरी से न जाए’। जस्टिस पटनायक जी का जो बयान आज आया है, वो आपके समक्ष है, प्रकाशित है, पब्लिक डोमेन में है, वो पूरी तरह से बिना किसी संदेह के सिद्ध करता है कि सीवीसी की रिपोर्ट झूठी है, बेईमानीपूर्ण है, मनगढ़ंत है, तथ्य विहीन हैं, काल्पनिक इल्जाम और बनावटी बातों का एक पुलिंदा है। उस पुलिंदे को आधार बनाकर, सीवीसी की रिपोर्ट जैसी है, वैसी की वैसी लेकर आलोक वर्मा जी को हटा दिया गया है।
मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं, अभी कल ही, 24 घंटे पहले मैंने आपके समक्ष 7 बिंदु रखे थे। उन्हें मैं दो मिनट में आपके सामने संक्षेप में वापस दोहराना चाहता हूं, क्योंकि उनमें से सभी बिंदुओं का पुष्टिकरण व्यापक रुप से आज पटनायक जी के वक्तव्य ने किया है। मैंने कल कहा था आपको कि नेचुरल जस्टिस (natural justice), जो न्याय की एक स्वाभाविक शैली है, स्वाभाविक नीति, स्वाभाविक सिद्धांत है, उसका हनन हुआ है, क्योंकि जल्दबाजी में काम हुआ है और जिस व्यक्ति के विरुद्ध कोई न्यायिक प्रक्रिया भी नहीं थी, कोई सिद्ध, पूर्ण फाइंडिंग नही थी, उसको भी बिना नेचुरल जस्टिस से हटाया गया है। ये आपको कल भी कहा गया था।
दूसरा, आज पटनायक जी के इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट कहा है – very, very hasty! मैं आपके लिए पढ़ देता हूं, “Even if the Supreme Court said that the high-power committee must decide, the decision was very, very hasty. We are dealing with an institution here. They should have applied their mind thoroughly, especially as a Supreme Court judge was there. What the CVC says cannot be the final word.”
नंबर दो, मैंने कल कहा था कि अस्थाना के बेबुनियाद आरोपों को सीवीसी ने करीब-करीब उठाकर जैसा है, वैसा का वैसा आगे फॉरवर्ड कर दिया और वो बेबुनियाद आरोप, सिर्फ आरोप जो सीवीसी रिपोर्ट में परिलक्षित हुए, वो समिति में पहुंच गए और समिति ने उनके ऊपर डायसैंट (Dissent) के साथ अपनी मुहर लगा दी। क्या कहा था पटनायक जी ने और मैंने कल आपके सामने विशेष रुप से 10 में से 4 का विश्लेषण किया था, मैंने सीवीसी से quote किया था। ये मैं कल की बात बता रहा हूं, अब आज की बात पर आईए, पटनायक जी के प्रकाशित वकतव्य पर, ये मेरे शब्द नहीं हैं। मैं quote कर रहा हूं – “There was no evidence against Verma regarding corruption. The entire enquiry was held on CBI Special Director Rakesh Asthana’s complaint. I have said in my report that none of the findings in the CVC’s report are mine.” none are mine एक अलग बात है, पहली बात सुनिए – The entire enquiry was held on CBI Special Director Rakesh Asthana’s complaint.
तीसरा, मैंने कहा था कि पटनायक जी ने किसी रुप से जांच, तहकीकात नहीं की थी, उन्होंने पहले भी ये कहा था, मैंने ये कल कहा। उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए, उन्होंने सिर्फ फॉरवर्ड किया और ये देखा कि आमतौर पर सबकी सुनवाई हो रही है, सब लोग आ रहे हैं, सुपरवाईजरी लोग सब मिल रहे हैं, सिर्फ ये देखा। पटनायक जी आज क्या कहते हैं- “the CVC forwarded to me a statement dated 9.11.2018 purportedly signed by Shri Rakesh Asthana. Purportedly शब्द बहुत बड़ा महत्वपूर्ण है। I may clarify that this statement purportedly signed by Shri Rakesh Asthana was not made in my presence.” ये दूसरी बार Purportedly शब्द इस्तेमाल करते हैं, दो ही वाक्यों में और नेचुरल जस्टिस का जो मैंने पहला मुद्दा कल उठाया था, उसमें पटनायक साहब कहते हैं –“The Supreme Court entrusted me with a responsibility of supervising, so I ensured my presence, the Sana evidence etc, and I ensured that principles of natural justice were applied…”
अब मैं आपसे इन उदाहरणों के जरिए ये पूछना चाहता हूं, कि ये किस प्रकार की spin doctoring है, PhD हो या M.phil हो, कभी पटनायक जी का नाम लेती है, कभी कहती है कि समिति ने सब सोचा, किया। समिति ने 15 मिनट, आधे-एक घंटे की मीटिंग में हजार पेज के एनेक्सचर (annexure), 50 पेज की रिपोर्ट जो मुख्य रुप से अस्थाना जी के आरोपों पर आधारित है, उसका अवलोकन भी कर लिया, निर्णय भी कर लिया, निश्चय भी कर लिया, हटा भी दिया। इसका एक ही उद्देश्य था – अत्यंत जल्दबाजी, बहुत ज्यादा चिंता, टियरिंग हरी (tearing hurry) कि ये निर्णय आज, अभी, इसी वक्त कार्यांवित करना है। क्यों? क्या इसलिए कि सत्तारुढ़ सरकार, सत्तारुढ़ पार्टी के विरुद्ध बहुत बड़े गंभीर मुद्दों पर लगातार प्रश्न उठ रहे हैं? क्या ये काम तुरंत करने की इसलिए टियरिंग हरी थी कि कुछ चंद क्षणों में हजार पेज के एनेक्सचर और 50 पेज की रिपोर्ट का अवलोकन कर निर्णय कर लिया जाए? क्या सीबीआई डायरेक्टर राफेल की फाइलों की तफ्तीश कर रहे थे, तहकीकात कर रहे थे? क्या महत्वपूर्ण साक्ष्य जो करीब थे, उनके बारे में कोई निर्णय, कोई प्रमाण या कोई सबूत आने वाले थे? क्या इसलिए उनको तुंरत स्थानांतरण करना आवश्यक था?
मैं इसलिए आपसे बड़ा स्पष्ट कहना चाहता हूं कि हमारी कई मांगे हैं, लेकिन अगर आज मैं सूक्ष्मता से समराइज करुं तो पहली मांग है कि – हाई पावर कमेटी को तुरंत पुन: आयोजित किया जाए, समिति को तुरंत वापस बुलाया जाए।
दूसरा, आलोक वर्मा जी को दोबारा तुरंत नियुक्त किया जाए।
तीसरा, उनके 77 दिन, जो दो वर्ष के फिक्सड टर्म में गवाए गए, वो 77 दिन उनको वापस सौंपे जाएं।
चौथा, आलोक वर्मा जी पर लगाए जितने भी आरोप हैं, जो आज बड़ी रोचक बात है कि समिति ने इनको हटा दिया और समिति के हटाने के बाद आज सीवीसी कह रही है कि वे आरोपों की जांच शुरु कर रहे हैं। आज आपने पढ़ा भी होगा। तो हमारी चौथी मांग है कि आलोक वर्मा जी पर लगाए गए आरोपों की जांच हाई पावर कमेटी द्वारा हो, क्योंकि ये जानकारी को लीक करके सिर्फ एक बदनाम करने की प्रक्रिया है कि हमने तो हटा दिया है, लेकिन हम इनकी जांच करने वाले हैं।
Dr. Singvi said- This is very serious, it is urgent, it is very important because ultimately the issues are the same, the issues have not changed. But, the issues highlight a tearing, anxiety and urgency to hide vital matters of public interest. This Government is running scared. This Government is using PhDs and Masters and Spin Doctoring to spread falsehood and one direct falsehood has been nailed today. I gave you about 6-7 points yesterday less than 15 hours ago. Each of those points have been completely reinforced, reiterated and underlined by no less than Justice Patnaik. I had told you yesterday, natural Justice denied especially without any proof, judicial findings, natural justice was all the more important.
Well, today Justice Patnaik has said categorically that even if the Supreme Court said that the high-power committee must decide, the decision was very, very hasty. We are dealing with an institution here. They should have applied their mind thoroughly, especially as a Supreme Court judge was there. What the CVC says cannot be the final word, exactly the issue which we have raised.
Second, we have said there is nothing which can be called even an allegation much less proof, no prima facie, no finding. There is nothing in the nature of except subjective words, adjectives, delays, trivial things. Well, today, Justice Patnaik says, “There is no evidence of corruption against Verma. The entire enquiry was held on (CBI Special Director Rakesh Asthana’s) complaint. I have said in my report that none of the findings in the CVC’s report are mine”
Third thing he had said yesterday that you are hiding behind the fig leaf of Patnaik. Justice Patnaik himself says, “the CVC forwarded to me a statement dated 9.11.2018 purportedly signed by Shri Rakesh Asthana. I may clarify that this statement purportedly signed by Shri Rakesh Asthana was not made in my presence” The Supreme Court entrusted me with the responsibility of supervising, so, I ensured my presence and ensured the principle of natural justice was applied. Neither inquired nor signed nor himself investigated and this is being spread like a canard before you by the spin doctors of this Government. I think, it is very clear, friends, that there is much to hide, it is not a cupboard full of skeletons, it is only skeletons, there is no cupboard.
Was it that the CBI Director was deep into the investigative stage of Rafale? Was it that he had evidence, witnesses, documents which would nail the multiple lies of this Government, the Prime Minister, the Ruling Party’s President? Was it that it was therefore vital to stop him instantaneously within minutes? Remember, even adjournment was refused initially by the Prime Minister’s office of the meeting that meeting had not even got CVC report. Mr. Kharge wrote saying, we have no CVC report, please adjourn it. The letter from Mr. Jitendra Singh the minister said, No, we would not adjourn it, we have to have it today and then on the urgent meeting 24 hours later. A thousand pages annexures report was evaluated decided and implemented in this manner. Obviously, this Government has lots and lots to hide. Well, without taking more time, let me conclude by saying that we have four specific demands apart from all the other points which made earlier.
One, the High-power Committee must be reconvened immediately. Two, Mr. Alok Verma must be reappointed till the High-powered Committee, and that is my third demand, fully investigates and enquires into the allegations as the High-power Committee, because they have not done it. Mr. Justice Patnaik says they could not have done it; it is humanly impossible to do it. They are not a rubber stamping agency, they are High Powered Committee. The CVC is neither the appointing authority, nor the removing authority and therefore the third demand is that these must be inquired into and fourth, the 77 days lost by him in his fixed two years tenure term must be compensated and returned to him and then alone I think, justice will be done, justice deserves to be done and the Government and his spin doctors deserve to be exposed.
एक प्रश्न पर कि जिस तरह से सीवीसी के घटनाक्रम का जो ये पूरा मामला सामने आया है, है, उसके बाद बीजेपी ने सीधे तौर से नहीं कहा है कि आलोक वर्मा जी को क्यों हटाया गया है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि कैसे कह सकते हैं वो? बीजेपी spin doctoring कर सकती है लेकिन जादू से कोई नए तथ्य तो नहीं निकाल सकती है। आज आपने एक बडी विकृत बात पढी कि 4-5 मुद्दों पर हटाने के बाद जांच शुरु होगी। ये किस प्रकार का न्याय है, क्या हमारे देश में, सबसे गौरवशाली गणतंत्र में ऐसा न्याय होता है कि मैं पहले आपको हटाऊं, वो भी उच्च पदाधिकारी को, CBI Statutory Director को और उसके बाद जांच शुरु करेंगे? इसलिए हमने कहा कि आपने तब जांच नहीं की और अब आप शुरु कर रहे हैं और आप तो इस प्रकार से सीवीसी को रिव्यूविंग अथॉरिटी (Reviewing Authority) बना रहे हैं। एक प्रकार से ये बहुत महत्वपूर्ण बात है, सैद्धांतिक बात भी है, कानूनी बात भी है कि इन सब प्रक्रियाओं से आप सीवीसी को अपोयटिंग एंड रिव्यूविंग अथॉरिटी (Appointing and Reviewing Authority) बना रहे हैं। सीवीसी जो कहेगी वो फाईनल है, कमेटी ने कहा है कि तहकीकात की। इसलिए हमने मांग की है कि कमेटी पुन: आयोजित हो, तहकीकात करे और तब तक वो रहें। तहकीकात के बाद अगर समिति में ये तथ्य आते हैं, तो जो निर्णय होगा, वो होगा।
एक अन्य प्रश्न पर कि आलोक वर्मा जी ने ट्रांसफर ऑर्डर को मानने से इंकार कर दिया है, जस्टिस पटनायक ने जो कहा, उसके बाद सरकार की तरफ से जो मांग है उसको नहीं माना है तो क्या इसमें कोई कानूनी कार्यवाही होगी, डॉ. सिंघवी ने कहा कि आज की प्रेस वार्ता का मुख्य फोकस है जस्टिस पटनायक का वक्तव्य। मैंनें आपको विस्तार से बताया है। ये हमारी हर टिप्पणी का, हमारे हर आरोप का, हमारे हर तथ्य का, हमारे हर सिद्धांत का एक प्रकार से पुष्टिकरण है। अगर ये पुष्टिकरण है तो जाहिर है कि हमारी चारों मांगे तुरंत सरकार को माननी चाहिए और वो मांग क्या हैं। समिति तो आपकी ही रहेगी ना, समिति को क्यों नहीं बुलाते आप वापस, हम समिति से आपको थोड़े ना हटा रहें हैं, आप समिति में रहें, समिति तहकीकात करेगी, इसमें क्या बड़ी बात है। इसमें एक बात हो सकती है कि है आप भयभीत हैं, छुपाना चाहते हैं, लुका छुपी करना चाहते हैं।
दूसरा आपका सवाल कानूनी प्रक्रिया के बारे में, वो अलग बात है, जो हमारे अधिकार क्षेत्र हैं, वो रहेंगे, आलोक वर्मा जी के अलग अधिकार क्षेत्र हैं, वो रहेंगे। वो निर्णय इस पूरे वक्तव्य से कोई सरोकार नहीं रखता है। हम देश के सामने जवाबदेही और अकाउंटेबिलिटी का वक्तव्य दे रहे हैं, कि इस प्रकार से नहीं चल सकता कि आप किसी की बदनामी करके उसे हटाएं क्योंकि वो किसी महत्वपूर्ण, राष्ट्रीय हित की, पब्लिक इंटरेस्ट की बात पर तहकीकात कर रहे हों।
On a question that you are using this platform to say that the meeting of High Power Committee should be reconvened, but will that a formal letter to this effect will be sent by Mr. Kharge also, Dr. Singhvi said- Yes, off course, naturally. I cannot say what Mr. Kharge will do, but that is likely, this is in the public domain and it is an official demand, so that is likely but I am not committing to anything. This is individual decision as a member of the committee. Now, things have changed significantly because of specific statements by Mr. Justice Patnaik.
एक अन्य प्रश्न पर कि जैसा कि आलोक वर्मा जी पर आरोप लग रहे हैं, लेकिन वो खुल कर कुछ भी नहीं कह रहे हैं, कांग्रेस ने कल भी कहा और आज भी कहा, तो आपके पास ऐसे क्या तथ्य हैं जिनसे कहा जाए कि आलोक वर्मा जी राफेल मुद्दे की जांच करने वाले थे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि आलोक वर्मा जी ने क्या कहा, क्या करते हैं, उससे हमें मत जोड़िए, हृमारा उससे कोई संबंध नहीं है। वो क्या कहें, क्या करें, वो अलग है, उनका अलग अधिकार क्षेत्र हैं, वो सक्षम हैं, उनके बहुत वरिष्ठ वकील हैं। जहाँ तक मेरा सवाल है, मैंने बड़ा स्पष्ट कहा है, मैंने छुपाया नहीं है। राफेल के बारे में मैंने आज तो नहीं कहा, कल तो नहीं कहा, हम तो चार दिन से कह रहे हैं और आप ही हमें बताईए, जिस तिथि को इनको पहले हटाया गया, उच्चतम न्यायालय ने जिस दिन इन्हें निरस्त किया, उस तिथि के कितने समय पहले राफेल के बारे में इन सीबीआई डारेक्टर को एक विस्तार से, व्यापक शिकायत दी गई थी, कुछ चंद दिन पहले। उसके लिए उस रिपोर्ट में, उस शिकायत के ऊपर वो कुछ भी कर सकें, उससे पहले रात के 12 बजे ये सब कार्यवाही हो रही है। जब उच्चतम न्यायालय उनको उनकी पोस्ट पर वापस लगाते हैं तो खड़गे जी लिखते हैं कि मुझे समिति में बुलाया है, मैं सीवीसी रिपोर्ट पर क्या टिप्पणी करुं, मेरे पास सीवीसी रिपोर्ट ही नहीं है। ये वो सुबह 8 तारीख को लिखते हैं, शायद 8 तारीख थी। 12 बजे तक पी.एम.ओ. के मंत्री महोदय जितेन्द्र सिंह लिखित चिठ्ठी उनको लिखते हैं, कि आपको समय नहीं मिलेगा। बिना सीवीसी रिपोर्ट के रात को 8 बजे मीटिंग होती है। मीटिंग में वो कहते है कि मैं क्या निर्णय करुं, तो सब मानते है कि हाँ सीवीसी की रिपोर्ट नहीं है, हम आपको सीवीसी रिपोर्ट देते हैं। लेकिन कल एक दिन के अंदर फिर मिलना है, उस मीटिंग में हजार पन्ने के एनेक्सचर के बिना, बिना कोई कारण दिए सिर्फ ये कहकर ये सीवीसी है, इसने ये आरोप लगाए हैं और सीवीसी के आरोप से पहले अस्थाना जी ने लगाए थे, हम इनको हटा रहे हैं, तो जाहिर है कि पूर्व निर्धारित था। जहाँ तक प्रधानमंत्री जी की बात है ऐसा लगता है कि उनके लिए ये व्यक्ति खतरनाक है, क्योंकि सच्चाई खतरनाक होती है। सच्चाई का काम ही होता है, झूठ से पर्दा हटाना। कौन सी सच्चाई हो सकती है वो, निश्चित रुप से एक सच्चाई राफेल की ही हो सकती है।
एक अन्य प्रश्न पर कि जो महागठबंधन होने वाला है, क्या केन्द्र सरकार उसको रोकने के लिए सरकारी ऐजेंसियों को पॉलिटिकल टूल की तरह इस्तेमाल कर रही है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि निश्चित रुप से, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है। विभिन्न ऐजेंसियों का दुरुपयोग करके, धमकी देकर, हैरेसमेंट करके, कानूनी या गैर-कानूनी प्रक्रियाएं करके, डरा धमका कर, भयभीत करके कर रहे हैं। आप दिन प्रतिदिन देख रहे हैं। आज इतनी पुरानी बात को और इस सरकार के 5 वर्ष खत्म हो रहे हैं, सैंड माईनिंग अलग बात है, लेकिन अचानक उसमें अखिलेश यादव जी को घेरना, इसको समझने के लिए भी बहुत बड़ी PhD नहीं चाहिए कि इसका उद्देश्य क्या है? उसके अलावा मैंने सीधा आरोप पहले भी लगाया है, मैं दोहरा रहा हूं कि राष्ट्रीय स्तर पर, केन्द्रीय स्तर पर, हाँ ये बात जरुर सच है कि कुछ प्रदेशों में पहले ये प्रथा चली है लेकिन केन्द्रीय स्तर पर प्रतिशोध की राजनीति की पूरी संस्कृति मोदी जी लाए हैं। ये पहली बार हो रहा है और मैं सीधा आरोप लगा रहा हूं कि इसे मोदी जी लाए हैं। बीजेपी सरकार में ये पहले कभी नहीं था। ये आरोप हम वाजपेयी जी पर कभी नहीं लगा सकते थे। तो साम-दाम, दंड भेद से, भय से इस प्रकार की राजनीति की संस्कृति लाना, ये मोदी जी की उपलब्धि है।
