डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, अभी तक आपने देखा चौकीदार की एक विकृत परिभाषा इस देश में जो लागू हुई है और अब देश ये भी समझ गया है कि जुमलेबाज जासूस भी है। विश्व के सबसे बड़े जासूस और जासूसी के सबसे बड़े ढांचे पर अध्यक्षता करने वाले आज हमारी सरकार, आज हमारे माननीय प्रधानमंत्री बन गए हैं या बनने का प्रयत्न कर रहे हैं।
आज गैर संवैधानिक जासूसी ऐजेंसी खोलना सीखना हो तो इस सत्तारुढ़ पार्टी, प्रधानमंत्री और सरकार से सीखना चाहिए।
इसका उद्देश्य सिर्फ एक है कि बिग ब्रदर सिंड्रोम और जासूसी के सिंड्रोम में हम सब आतंक में रहें, भय में रहें और इस श्रृखंला में हमने दो-तीन पहले बात की थी, अभी तीन दिन हुए हैं, मैंने ओडिशा में बात की थी, किसी और ने यहाँ से बात की थी और आज 24 दिसंबर है, यानि कल एक और बहुत बड़ा कदम लेने का प्रयत्न किया जा रहा है। मैं पहले समझा दूं क्या बात है – गृह मंत्रालय और आईटी के अंतर्गत आज एक बड़ी मानी हुई और आदरपूर्ण संस्था है, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन, जो विश्वभर की संस्था है, उसने आज प्रकाशित किया है, आपके लेखों में, अखबारों में, पत्रिकाओं में छपा है कि ऐसा प्रस्तावित है कि इनफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी इंटरमीडियरी गाइडलाइनस अमेंडमेंट रुल, अभी ये लागू नहीं हुआ है, प्रस्तावित है। लेकिन ये प्रस्तावित क्या चीज है, कितनी भयानक है, क्यों है और याद रहे कि ये प्रस्तावित अभी तक किसी रुप से जनता जनार्दन के सामने वार्तालाप के लिए या विरोध प्रकट करने के लिए किसी भी वेबसाईट वगैरह में नहीं रखी की गई है। इसके अंतर्गत जो रुल हैं, जिन्हें कहा जाता है, ‘द इंटरमीडियरी रुलस’ 2011, उसको अगर मैं सरल शब्दों में कहूं तो उसके अंतर्गत अगर ऑटोमैटिक्ली हर इंटरमीडियरी को, इंटरमीडियरी मतलब होता है – सर्विस प्रोवाईडर, वाट्सअप हो, फेसबुक हो, सिग्नल हो, टैलीग्राम हो, कोई भी हो, इसके अंतर्गत सबका आधिकारिक कानूनी कर्तव्य बन जाएगा कि वो टेक्नॉलॉजी के सब सिस्टम रखेंगे, जिसके अंतर्गत उन्हें बताना पड़ेगा, संदेश भेजने वाला और संदेश जिसे मिलने वाला हो वो और विशेष रुप से क्या संदेश हो और उसका विशेष रुप से वो खुलासा कर सके।
अब unlawful इनफोर्मेशन क्या है, वो आप भेजने वाले निर्णित नहीं करेंगे, मैं रिसीव करने वाला निर्णित नहीं करुंगा, माननीय प्रधानमंत्री जी की सरकार निर्णित करेगी, बिग ब्रदर निर्णित करेगा, यानि जो आपके संदेश जा रहे हैं किसी भी ऐजेंसी से उसमें इस हस्तक्षेप का, इनवेजन (invasion) का अधिकार क्षेत्र बन जाएगा, इस देश में प्राईवेसी नाम की तो कोई चीज ही नहीं छोड़ेंगे, अगर ये लागू होता है तो।
अब मैं इसके दो-चार बिंदु बता दूं, ये अत्यंत महत्वपूर्ण बात है, गंभीर बात है, डरावनी बात है और हम आशा और विश्वास करते हैं कि इस प्रकार की विकृत संस्कृति इस देश में लाने से पहले सरकार शुरुआत में ही इसे बंद करे दे और माफी मांगे।
पहला, इसके अंतर्गत आप हर तरीके से किसी भी सर्विस प्रोवाइडर इंटरमीडियरी को कोई भी आदेश के अनुसार, उसके कोई भी कंटेट चैनल का खुलासा करवा सकते हैं। इसमें कोई लिमिटेशन नहीं है।
दूसरा, भेजने वाले की आइडेंटिटी, रिसीव करने वाले की आइडेंटिटी और जो actual लिखा है, उस सबका खुलासा हो सकता है।
तीसरा, इसमें स्वतंत्र, स्वछंद भावना प्रकट करने का जो मानवाधिकार है, हमारे अनुच्छेद-19 में, उसका लेशमात्र भी कहाँ बच जाता है, ये प्रश्न पूरा देश आपके जरिए पूछेगा। ये जवाबदेही मांगेगा।
चौथा, इसके दुरुपयोग का कोई अंत है? एक उदाहरण लीजिए, आप एक पत्रकार हैं, आपके सोर्सिस हैं, आपने अपने सोर्स का जिक्र करते हुए सोर्स से बात की, वाट्सअप में कनेक्ट करें, टेलीग्राम में करें, सिग्नल में करें, इससे फर्क नहीं पड़ता, आप अपने सोर्स से बात कर रहे हैं, उसकी कोई गोपनीयता नहीं है। आप कुछ भी बात कर रहे हैं, अगर राजनीतिक रुप से वो किसी को सूट नहीं करती है तो ये आदेश इसके अंतर्गत आ सकता है। राजनीतिक पार्टी है, आज ये किसी प्रेस वार्ता के बारे में मुझे कुछ इंस्ट्रक्शन दे रहे हैं, उसकी क्या गोपनीयता है? ये तो बहुत सरल उदाहरण हैं। इससे ज्यादा कई और बड़े उदाहरण हो सकते हैं, आम आदमी के बिजनेसमैन का, ये है ease of doing business इस सरकार की परिभाषा के अंतर्गत, वास्तव में यह ease of interfering business है। इंसपेक्टर राज अत्यंत छोटा शब्द है। ये बिग ब्रदर राज है, ये अव्वल दर्जे के जासूस का राज है।
72 घंटे में अनुपालन नहीं किया तो दंडित है और याद रखें हम कोई अश्लील या बच्चों से संबंधित पोर्नोग्राफिक मटेरियल की बात नहीं कर रहे हैं, जो कानूनी प्रतिबंधित हो, ये उसकी बात नहीं हो रही है। कोई भी इनफोर्मेशन, संदेश आप भेज रहे हैं, उसकी बात कर रहे हैं।
छठा बिंदु, end to end encryption, इसका मतलब ही नहीं रहा कुछ, end to end encryption तो शब्दावली भी नहीं रही, मजाक हो गया है इसका और यही है नैनी मॉडल, गुजरात मॉडल, माननीय मोदी मॉडल सबसे उपयुक्त शब्द है, माननीय अमित शाह मॉडल उससे भी ज्यादा उपयुक्त शब्द है। और हर जगह किया आपने, आजतक किया और आज आप एक और चरम सीमा वाला उदाहरण दिखा रहे हैं।
आठवां, इससे आपकी मंशा और सोच प्रकट होती है, आपकी सोच का तौर-तरीका प्रकट होता है, उसकी दिशा एक ही है, आपको लगता है कि सब चोर हैं। सभी अपराधी हैं। सबको संदेह की नजर से देखना, सबको एक डरा कर रखना, ये डिक्टेटरशिप मॉडल है और डिक्टेटरशिप मॉडल कई बिंदुओं में, कई पहलुओं में आजकल मोदी मॉडल सही रुप से कहलाया जा रहा है।
इसके पहले जो आपने अनेक उदाहरण देखे हैं, उनका मैं एक मिनट में संक्षेप से वर्णन कर दूं, क्योंकि ये उसी श्रृंखला में एक चरमसीमा है, उसी सूची में एक और कड़ी है। ये अभी शुरु नहीं हुआ है, ये 2014 से चल रहा है।
आपको ‘नमो’ एप याद है, हमने प्रसेवार्ता की थी, 22 प्रश्नों, 22 बिंदुओं पर। आपको सहायता देने के नाम पर 22 बिंदुओं पर आपसे इनफोर्मेशन, सूचना कलेक्ट कर रहे थे। आपको आधार की कहानी मालूम है, उसमें शुरुआत में सरकार का क्या स्टेंड था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कैसे उसके जो आपत्तिजनक मूल प्रावधान हैं, उनको स्ट्राइक डाउन किया, लेकिन अंततोगत्वा तब तक सरकार ने उसका समर्थन किया, जब तक वो हारी नहीं। आपको मालूम है कि पंजाब नेशनल बैंक के विषय में डेटा ब्रीच, 23 फरवरी, 2018 को हमने बताया था आपको, जिसमें 10,000 कस्टमर के डेटा लीक हुए थे। आपको याद है कि इंटरनेट, सैंटर फॉर इंटरनेट सोसाईटी ने 20 नंवबर, 2017 को, हमने इन सब पर प्रेस वार्ता की है, मैं विस्तार से नहीं बता रहा हूं आपको। नंवबर, 2017 यूआईडीए ने माना था कि 210 सैंट्रल और स्टेट गवर्मेंट वेबसाईट ने पब्लिकली डिस्प्ले किए थे आधार बैनिफिशरी के नाम और एड्रैस।
अभी हाल में तीन दिन पहले हमने प्रेस वार्ता की है, तो इन सबका और उसके अलावा संसद में डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल लंबित है। डीएनए टेक्नोलॉजी यूजर एप्लिकेशन रेगुलेशन बिल, बहुत लुके-छिपे तरीके से उसको पारित करने का प्रय़त्न किया जा रहा है और उसके विषय में हमने कई विरोध लिए हैं और यहाँ से भी हमने उसका विरोध लिया है तो उसको सामूहिक रुप से देखें, एक होलिक दृष्टि से देखें। तो यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार एक निगरानी तंत्र के रुप में स्थापित होने का प्रयास कर रही है।
देश जानता है कि ‘चौकीदार क्या है‘ पर अब समझ भी गया कि ‘जुमलेबाज़ जासूस भी है‘ !
